शक्तेशगढ। मिर्जापुर। दिल उसी से लगाओ जिसने ये दिल बनाया है। जिसने हमारे दिल को धड़कन दी हैं।। यह शरीर परमात्मा की कृपा से परमात्मा को पाने के लिये ही मिला है। परमात्मा के सिवाय सब कुछ नश्वर है।परमात्मा के सिवाय कोई अपना है ही नहीं, सारे रिश्ते नाते धन जमीन आदि यहीं छुट जाएंगे, इनसे क्या नेह लगाना जैसे हमें अपने पिछले जन्म के रिश्ते नाते अब याद नही, ऐसे ही अगले जन्म में इनकी याद ना होगी इसी लिए कहा है कि दिल उसी से लगाओ , जिसने ये दिल बनाया है। सबके सब बिछुड़ जाएंगे तब केवल सतगुरु अंग-संग होंगे। सन्सार में कई प्रकार की हानि हो जाती है।। परन्तु सब से बड़ी हानि गुरु-शब्द को भुलाना है। दुनिया में कई प्रकार के लाभ होते हैं। परन्तु सर्वश्रेष्ठ लाभ गुरु शब्द स्मरण रखना है।। जिसे सुखी रखने के लिए मालिक स्वयं तैयार हो उसे कौन दुःखी कर सकता है। यदि सदगुरु के प्रेम में ह्रदय डूबा है तो लोक परलोक का खजाना तुम्हारे साथ है।श्री लाले बाबा,शक्तेशगढ, मिर्जापुर,उत्तर प्रदेश भारत
दिल उसी से लगाओ जिसने यह दिल बनाया,सतगुरु के प्रेम मे हृदय डूबा है तो लोक,परलोक का खजाना है पास